Dr. Sanchit’s note on charming Saurabh Shukjla ji
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World Theatre Day-Everyday!
Dr. Sanchit’s musing on Theatre Day
अनोखी बारात
प्रतीक की शिवरात्रि पर अनोखी कविता…
क्या चुनोगे तुम?
इस पार या उस पार….
यह ध्यान रखना…
फीनिक्स हो तुम,..
शून्य
अगर फैलने की ठान ले……
ओ मेरे महान सपनों..
सपनों से सीखा मैंने- अंतर है स्वतंत्र होने में
और मुक्त होने में।
समर की पहली कविता
चक्रव्ह्यु शत्रु नहीं, योद्धा की पहचान है|
चक्रव्ह्यु की गहनता ही, अभिमन्यु का मान है|
अभिनेता की मृत्यु पर….
अभिनेता मरते नहीं हैं | बस एक मंच से दूसरे मंच चले जाते हैं ….
Death of An Actor
Actors do not die. They just transcend from one world to another-one stage to another.