भीड़ के उस पार,
है खेल का मैदान,
है धूल, धूप और हार,
आलोचकों के वार,
युद्ध के प्रहार…
भीड़ के इस पार,
है दीर्घा ए दर्शक महान,
करतल करने का गुमान,
हार का कोई प्रश्न नहीं,
पर जीत का भी जश्न नहीं..
क्या चुनोगे तुम?
~समर~
समर भीड़ में उलझा एक चेहरा है |
अगर आपको उचित लगे तो इस लेख को लाइक और इसपर कमेन्ट करें | अपने मित्रों और परिवार के सदस्यों से साझा करें | The GoodWill Blog को follow करें ! मुस्कुराते रहें |
अगर आप भी लिखना चाहते हैं The GoodWill Blog पर तो हमें ईमेल करें : blogthegoodwill@gmail.com
Itna acha likhte ho ki tarref karna bhi kam lagta hai.. bas itna kehna hai..
Samar likhte rehna…
LikeLiked by 1 person
Nice poem with brilliant selection of words….. Really like it 🙂🙂
LikeLiked by 1 person
Hey Aarush..
Thanks for reading and encouraging! Keep Smiling,
Regards,
Team GoodWill.
LikeLiked by 1 person
छोटी सी कविता में छुपा बड़ा ज्ञान!!😊👌
LikeLiked by 1 person
Thanks Ma’am!
LikeLike