क्या चुनोगे तुम?

भीड़ के उस पार,
है खेल का मैदान,
है धूल, धूप और हार,
आलोचकों के वार,
युद्ध के प्रहार…

भीड़ के इस पार,
है दीर्घा ए दर्शक महान,
करतल करने का गुमान,
हार का कोई प्रश्न नहीं,
पर जीत का भी जश्न नहीं..

क्या चुनोगे तुम?

~समर~

समर भीड़ में उलझा एक चेहरा है |

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