तू ख्याल है जहान का,
सूत्र है विश्वास का,
तू कर्म है महान सा.
रूह है भगवान का |
भरता है जब तू झोली,
संग लाता है खुशियों की टोली;
अंजान मनमस्त तेरी बोली,
सब खेले आंख मिचोली |
नासमझ सब समझे तुझे,
स्वयं करतब करे नासमझी के;
तू सोये तो मन बुझे,
याद तब आते लम्हे नींद के |
तू सजता है हर रंग में,
खिलखिलाता है हर ढंग में;
ना भेद करता किसी के स्नेह में,
विजय पाता हर जंग में |
तुझे आस्था है उस पर,
जो देखे ममता से तन पर;
मासूम भोला सब कहें,
स्नेह लुटाता हर धर्म और जाति पर |
हर वस्तु स्वादिष्ट लगे,
कदापि मिर्च ज़बान ठगे;
भूले तेरी चहकने से जगे.
मीठा देने वाले बने सगे |
क्या-क्या सीखा तेरी बातों से,
बखान करते ही विस्मृत हो जाता हूं;
प्रेम ही धर्म ऊंचा है सबसे,
अहम् से बड़ा होना व्यर्थ पाता हूं |
~विजय छाबड़ा~
विजय एक ख़ुशक़िस्मत इंसान हैं जो महत्वाकांक्षी एवं कार्यरत हैं | महफिल तथा संगीत से अपार प्रेम है और आशावादी दृष्टिकोण से समाज समझते हैं |
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