अरबों की होगी आरज़ू,
करोड़ों के लिए प्रेरणा आप,
मेरे लिए बॉलीवुड आप थे-
मेरे लिए आप ही रहेंगी।
कुदरत ने तराशा तुम्हें-ऐ-मक़सद,
कि ग़म-ए-ज़िंदगी भुला कर दें,
समा पल भर का सही,
तुम्ही संग तसव्वुर कर लें।
बख्शा नाम माधुरी, किया जीवन माधुर्य;
अभिनय की दुनिया को मिला एक सूर्य;
परदे पर हर पल किया बहुमूल्य,
हर हसरत हर सीन में जज़्बा अतुल्य!
शौहरत कमाई अपने दम पर,
न चढ़ने दिया नाम सर पर,
पसंद बदलेगी दुनिया की मगर,
रहेंगे चर्चे मेहनत के अमर।
न रहता है हुस्न, न यौवन,
न रहता है समय जो नवाजे मिसालें,
पर रहता है अदब महसूस हो लासानी,
कायम रहे ये रुतबा होश जब तलक संभाले…
~विजय छाबड़ा~
विजय एक ख़ुशक़िस्मत इंसान हैं जो महत्वाकांक्षी एवं कार्यरत हैं | महफिल तथा संगीत से अपार प्रेम है और आशावादी दृष्टिकोण से समाज समझते हैं |
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