दो नदियाँ

माँ का अपने बच्चे से जो रिश्ता होता है वह मानवीय रिश्तों के स्वरूपों में सबसे ख़ूबसूरत रिश्ता होता है, यह कमोबेश हम सभी मानते हैं। माँ सृजनकत्री है, हमारी सृष्टि का आधारस्तंभ है। माँ शब्द सुनते ही आँखों के सामने एक सौम्य, करुणामयी, ममत्व से भरा चेहरा झिलमिला उठता है।

मैं स्वयं को भाग्यशाली मानती हूँ कि मुझे एक नहीं बल्कि दो माताओं का स्नेह और आर्शीवाद पाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। एक  जिन्होंने  मुझे जन्म दिया और जिनके साथ मैंने जीवन के 27 वर्ष गुज़ारे। दूसरी जिन्हें मैंने विवाहोपरांत पाया- मेरी स्नेहमयी सासू माँ | मेरी दोनों माताओं ने मेरे जीवन के विभिन्‍न दौर में मार्गदर्शक की महत्वपूर्ण भूमिका  निभायी।

मेरी जन्मदात्री माँ अत्यन्त सरल स्वभाव की मितभाषी महिला थीं। बचपन में ही अपनी माता को खोने और नानाजी के पुनर्विवाह के कारण उनकी परवरिश अपने ताऊजी के यहां छः भाई बहनों के बीच हुई थी|  वे मौन स्वभाव की थीं। शायद यही कारण था कि मैं उस उम्र में  अपनी अपरिपक्वता के कारण  माँ के साथ एक नज़दीकी रिश्ता कायम नहीं कर पाई।

Credit: Pexels

मेरी माँ ने अपने मितभाषी स्वभाव के बावजूद हम तीन भाई बहनों को एक ज़िम्मेदार  इंसान बनाने में कोई कमी नहीं रखी। ये उन्हीं की परवरिश का असर था, जिसने बचपन से ही हमें पारिवारिक ज़िम्मेदारियों  को निभाने में अपनी भूमिका निभाने योग्य बनाया। जीवन में हर मुश्किल का सामना  धैर्यपूर्वक करना सिखाया|  तीन बच्चों की परवरिश और पारिवारिक ज़िम्मेदारियों को निभाते-निभाते  कब वह मनोरोग का शिकार हो गईं, इसका मुझे शुरु में अहसास ही नहीं डुआ। बचपन से ही पिता के ज़्यादा करीब होने की वजह से मैं माँ के अंतर्मन को कभी समझ नहीं पाई।

फिर मेरा विवाह हुआ और मैं अपने ससुराल आ गयी। यहां से मेरे जीवन का दूसरा अध्याय शुरू डुआ। मेरा और मेरी सासू माँ के स्नेहपूर्ण रिश्ते की शुरुआत हुई। जीवन में उनसे जितना मैंने सीखा और समझा उतना शायद मैंने अपनी माँ से भी नहीं सीखा। उनका व्यक्तित्व मेरी जन्मदात्री से बहुत  अलग था। वे बहुत हँसमुख और मिलनसार महिला थीं | विवाहपूर्व मैं भी अपनी माँ की ही तरह मितभाषी एवं संकोची स्वभाव की थी। उन्होंने मुझे पारिवारिक एवं समाजिक रिश्तों को निभाना और उनका सम्मान करना सिखाया। अगर मैं जीवन के अनेक मुश्किल दौर में भी धैर्य रखते हुए एक आशावादी नज़रिये और मजबूत मानसिकता के साथ आगे  बढ़ पा रही हूं तो इसका श्रेय मेरी सासू माँ को भी जाता है |

Credit: The ChampaTree

मैं ऐसा भी नहीं कहूंगी कि मेरी सासू माँ के साथ कभी कोई नोंक-झोंक  नहीं हुई। पर उन्होंने कभी उस नोक झोंक को हमारे रिश्ते में खटास का कारण नहीं बनने दिया| अगर मैं उनमें अपनी माँ को देख पाई तो उसकी वजह यही थी कि उन्होंने मुझे कभी इस  बात का अहसास ही नहीं होने दिया कि वो मेरी सासू माँ है। माँ की बीमारी की वजह से उनके सान्निध्य की कमी को मेरी सासू माँ ने पूरी कर दी। मैंने अपनी सासू माँ से जितनी भी बातें सीखी और समझी उसका शब्दों में बयान कर पाना मुश्किल है।

मैंने सीखा कि हर रिश्ते को खूबसूरत बनाने के लिए उसे आपसी समझ और सामंजस्य से संभालना व संवारना पड़ता है। एक दूसरे की गलतियों को माफ करने के साथ-साथ स्नेह्पूर्ण रिश्ते के लिये अहंभाव को छोड़ना पड़ता है।  हर रिश्ते की मनुष्य के जीवन में एक अलग महत्ता और स्थान होता है। फिर वह माँ और बच्चे, पति-पत्नी, भाई-बहन, माता-पिता, चाचा-चाची , ताऊ-ताई, मामा-मामी, बूआ-फूफ़ा,  मौसी-मौसा , दादा-दादी, नाना-नानी और निसंदेह  मित्रता के रिश्ते ही क्यों न हों | यह सभी रिश्ते हमें परिवार और समाज के साथ जोड़ते हैं।

मनुष्य का जीवन अनिश्चितताओं से भरा हुआ है। कब कोई खूबसूरत रिश्ता वर्तमान से निकलकर अतीत के पन्‍नों में चला जाए कोई नहीं जानता। आज मेरे जीवन से मेरी दोनों माताएं बहुत दूर जा चुकी हैं। मुझे अफसोस होता है कि क्‍यों मैं अपनी माताओं से यह कह नहीं पाई कि मुझे उनसे कितना स्नेह है और मेरे जीवन में उनका कितना महत्वपूर्ण स्थान था।

हर मनुष्य का व्यक्तित्व अलग होता है, उसकी अपनी विचारधारा होती है। विचारधाराओं का टकराव लाज़मी  है, लेकिन हमें विचारों के टकराव को रिश्तों को निभाने की राह में बाधक नहीं बनने देना है। इस तेज़ रफ्तार जीवन में रिश्तों को हम कहीं पीछे न छोड़ दें और किसी दिन अपनों को खोने के बाद उनकी अहमियत का अहसास हो और उम्रभर पश्चाताप करना पड़े। स्नेह और सम्मान से सिंचित रिश्ते,  मज़बूत पेड़ बनकर एक सुदृढ़, संगठित परिवार और समाज का आधार बनते हैं|

बनते हैं न ??

~भुवना “जया“~

जैसा कि नाम से ही ज़ाहिर है, “जया ” ने कभी ज़िंदगी से हारना नहीं सीखा। आशावादिता उनके जीवन का मूल मंत्र है। उन्हें अवकाश के क्षणों में संगीत सुनना पसंद है। असफलता ही सफलता की कुंजी है इस बात पर उनका गहरा विश्वास है।

अगर आपको उचित लगे तो इस लेख को लाइक और इसपर कमेन्ट करें | अपने मित्रों और परिवार के सदस्यों से साझा करें | The GoodWill Blog को follow करें ! मुस्कुराते रहें |

Advertisement

One thought on “दो नदियाँ

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

%d bloggers like this: