परिवर्तन

जीवन का पर्याय परिर्वतन है इस बात से हर मनुष्य भली-भांति परिचित है।  पर क्या परिवर्तन को स्वीकार करना आसान है? शायद उतना नहीं जितना की ये कहना की परिवर्तन ही जीवन है।

कुछ ऐसी ही मनःस्थिति में है आज मेरा मन, जब मुझे अचानक इस बात का आभास हुआ कि मुझे भी परिवर्तन के दौर से गुज़रना है। अचानक जीवन के शांत सरोवर में जैसे कोई पत्थर फेेककर उसे उद्वेलित कर गया हो। शीघ्र ही मुझे एक नए माहौल में जाकर बसना है। जिस माहौल में मैं पिछले 30 वर्षों से रहने की आदि हो चुकी हूँ वो सब पीछे छूट जाएगा यह सोचकर ही मनःस्थिति अजीब सी हो रही है।

लेकिन कभी कभी जीवन में परिवर्तन लाना आवश्यक हो जाता है| जीवन एक जैसा रहेगा तो जीवन में नीरसता हो जाएगी, इसलिए मनुष्य को परिवर्तन को सकाारात्मक भाव से स्वीकार करना चाहिए। जीवन का मार्ग सीधा और सपाट नहीं है, बल्कि जीवन का मार्ग कहीं सपाट, कहीं पथरीला, कहीं रेतीला और कहीं तो ऐसा है जहां कोई रास्ता ही नहीं है। परिवर्तन मनुष्य के धैर्य व स्थिरता को परखता है।

परिवर्तन ही जीवन को गतिशीलता देता है, जीवन को नयापन देता है। आदि काल से आज तक मानव वातावरण, रहन-सहन, सोच में, उसकी सारी गतिविधियों में जो परिवर्तन आया है यही विकास की परिभाषा भी है। जब हम जीवन शुरू करते हैं तब हमारा जीवन अनेकों ऊबड़ -खाबड़ रास्तों से गुजरते हुए आगे बढ़ता है।

रात-दिन, जाड़ा-गर्मी, हानि-लाभ, मिलने और बिछुड़ने के अनेक प्रकार के परिवर्तत मनुष्य के जीवन में आते ही हैं। परस्पर विरोधी होते हुए भी ये एक सम्भावना अपने साथ लिए होते हैं। जो भी बदल रहा है वो बदलेगा ही। हम उसे रोक नहीं सकते ।

हमें जीवन को सहज और सरल बनाने का प्रयास करना चाहिए। हम जितने सहज और सरल होंगे जीवन में होने वाले परिवर्तन को स्वीकारते हुए जीवन पथ पर आगे बढ़ना उतना हीे आसान होगा। यही हमें मानसिक, भावनात्मक और आर्थिक रूप से अपने आपको संतुलित रखने में अहम भूमिका निभाएगा। हम जीवन की ऊर्जा को सही दिशा में तभी नियोजित कर सकते हैं जब हम जीवन में होने वाले परिवर्तनों के साथ सामंजस्य बिठाकर नए अवसर पैदा करना सीख जाएँ।

~भुवना “जया“~

जैसा कि नाम से ही ज़ाहिर है, “जया ” ने कभी ज़िंदगी से हारना नहीं सीखा। आशावादिता उनके जीवन का मूल मंत्र है। उन्हें अवकाश के क्षणों में संगीत सुनना पसंद है। असफलता ही सफलता की कुंजी है इस बात पर उनका गहरा विश्वास है।

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