चुनना होगा….

प्रेम नहीं,
न सही,
स्नेह नहीं,
न सही,
तुम्हें चुनना होगा
संगीत को।

सुननी होंगी,
वो धुने पुरानी,
जो धरा को धरा बनाती हैं,
एकाकी से उलझा
सारा जीवन,
बिछुड़ते साथी,
बिछुड़ते परिजन,
हर पल सुनना होगा
इस गीत को..
तुम्हें चुनना होगा
संगीत को।

ख़तम होती कहानियाँ,
जुदा हो जाते सारे क़िरदार,
पर वो सुलगी सी धुन,
रहती है हरी सदा,
घास की शिखा की तरह।

जीत नहीं,
न सही,
मीत नहीं,
न सही,
तुम्हे चुनना होगा
संगीत को।

~समर~

समर भीड़ में उलझा हुआ एक चेहरा है |

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