कौन हैं कृष्ण?
वो महाकाल, वो चक्रकाल,
वो रुद्रकाल, वो है विक्राल।
वो क्रुद्ध है, वो रूद्र है,
अमृत से अधिक वो शुद्ध है।
वो आयन है, नारायण है,
सभी गीत उसी के गायन है।
वो यम है, वो ब्रह्म है,
व्याख्या अभी भी उसकी कम है।
आकाश है वो, विनाश है वो,
हर मानव का “काश” है वो।
जल भी वो, थल भी वो,
ब्रह्माण्ड का पल-पल भी वो।
भक्षक भी वो, रक्षक भी वो,
शेषनाग और तक्षक भी वो।
पुराण भी वो, विज्ञान भी वो,
प्रत्येक मानव के हैं प्राण भी वो।
शिष्य भी वो, आचार्य भी वो,
अर्जुन और द्रोणाचार्य भी वो।
परशुराम भी वो, श्री राम भी वो,
द्वापर का नटखट श्याम भी वो।
कच्छप भी वो, मत्स्य भी वो,
सत्य, असत्य और अर्धसत्य भी वो।
कंस भी वो, रावण भी वो,
वरहा, नरसिंह और वामन भी वो।
एरावत भी वो, नंदी भी वो,
स्वतंत्र और बंदी भी वो।
त्रिशूल भी वो, सुदर्शन भी वो,
शुक्राचार्य और रोमहर्षण भी वो।
कवच भी वो, अस्त्र भी वो,
ब्रह्माण्ड के सारे शस्त्र भी वो।
यक्ष भी वो, सध्या भी वो,
कलयुगी प्रतीक के आराध्य भी वो।
अंधकार भी वो, प्रकाश भी वो,
समग्र विश्व का विश्वास भी वो।
प्रेम भी वो, द्वेश भी वो,
द्रौपदी के पवित्र केश भी वो।
रूप भी वो, कुरुप भी वो,
पार्थ को दिखला रहे विश्वरूप भी वो।
योग भी वो, माया भी वो,
अपना और पराया भी वो।
फल भी वो, कर्म भी वो,
कड़वाहट और मर्म भी वो।
अंग भी वो, अपंग भी वो,
मईया को करें जो तंग भी वो।
मान भी वो, अपमान भी वो,
ब्रह्माण्ड का सारा ज्ञान भी वो।
शुद्ध भी वो, अशुद्ध भी वो,
शान्ति और युद्ध भी वो।
किंतु भी वो, बल्कि भी वो,
कन्हैया और कल्कि भी वो।
शत्रु भी वो, मित्र भी वो,
कृत और चरित्र भी वो।
असुर भी वो, महात्मा भी वो,
आत्मा और परमात्मा भी वो।
तन भी वो, मन भी वो,
ब्रह्माण्ड का कण- कण भी वो।
मार्ग भी वो, बाधा भी वो,
अनोखा और साधा भी वो।
आशीर्वाद भी वो, श्राप भी वो,
पुण्य और पाप भी वो।
काम भी वो, कामदेव भी वो,
कामरहित महादेव भी वो।
जन्म भी वो, मरण भी वो,
अष्टावतार के श्री चरण भी वो।
भक्त भी वो, भक्ति भी वो,
मृत्यु पश्चात मुक्ति भी वो।
वो संहारकार, वो पालनहार,
वो अलंकार, वो चमत्कार,
वो कलाकार, वो निराकार, वो अविकार।
वो सब कुछ है, और सब कुछ वो,
सब उसमें हैं और सब में वो,
वो जीत है, मनमीत है,
वो रीत है, वो गीत है,
वो शीत है, वो ही तो सबकी प्रीत है।
वो आदि है, वो अंत है,
वो शुन्य और अनंत है…
~प्रतीक श्रीवास्तव~
प्रतीक एक युवा कवि हैं जो अभी स्कूल में पढ़ते हैं| स्कूल के पाठ्यक्रम से परे उन्हें कवितायेँ लिखने में भी रूचि है।
आवरण चित्र साभार : ज्योत्स्ना
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