तुम हो…

मन की झंकार में तुम हो,
सुरों के हर साज में तुम हो।
प्रेम के हर एहसास में तुम हो,
तुम बसे हो मेरी आँखों में।
आवाज के हर ताल में तुम हो।
ना भूली तुम्हारी मुस्कुराहटो की छनछनाहट,
गीतों के हर शब्दा अंश में तुम हो।
तुम्हारी मुस्कुराहट,
खिलखिलाहट तुम्हारा यूँ चंचलता से चले जाना।
इन सबसे मेरी हर आंश में बसे तुम हो।
नैना सिर्फ तुम्हे देखने के लिए तरसे,
नैनों की हर प्यास में तुम हो।
न जाने कब से तुम्हारे मिलन को तरसे
इन बांहो के छुअन में तुम हो।
हमें प्रेम है तुम्हारी हर प्रिय वस्तु से,
प्रेम के हर जूनून में तुम हो।

~ प्रियंका यादव ~

प्रियंका को कवितायें और कहानियाँ  लिखना पसंद है| वे एक अध्यापिका हैं |

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