प्रकाश एक प्रयास

पता करो ऐ दिनकर !
क्या कहीं बिजली आई है?
क्या कहीं कोई तार है टूटी?
या कोई पुरानी रीत है छूटी?
कल के बिछड़ो से मिलने…

पता करो ए दिनकर !
क्या कहीं बिजली आई है?
ज़रा देखो है कोई प्रकाश
करने को शिक्षा इस चंचल भोर में
रक्तचूस है टूट पड़े देह पर मेरी
मिटाने निर्मलता मेरे रक्त प्रवाह की…

पता करो ए दिनकर !
क्या कहीं बिजली आई हैं
कोई तो मर्ज होगा इस जुल्म ए इश्क का
अब तो यार से मिलने की आस भी हैं छूटी…
पता करो ए दिनकर !
कहीं कोई दीप जले अंधियारों में ।।

~दीपक ~

नमस्ते, मेरा नाम दीपक है। मैंने अंग्रेज़ी में स्नातकोत्तर किया है, और मुझे पढ़ने, कविता लिखने और कहानियाँ सुनाने का बहुत शौक है। मैं इस समय लेखन की दुनिया में कदम रख रहा हूँ और एक सफल कहानी लेखक बनने की आकांक्षा रखता हूँ।

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