स्वयं से मुलाक़ात…

कुछ सोच में यूँ थी लेटी मैं ,
जब मन में एक तूफान उठा
मस्तिष्क स्थिर होगया ,
फिर उनसे मिलने का अरमान उठा |

हिचक तो थी बहुत दिल में
पर रोक न पाई ख़ुद को मैं
फिर धीरे से एक पैर बढ़ा
और हौले से फिर हाथ उठा
एक-एक कर कदम बढ़ाया ,
बीता अतीत फिर याद आया
क्या वो माफ करेंगे?
मुझको मन में यही खयाल उठा…
फिर उनसे मिलने का अरमान उठा |

जा पहुंची मै दर उनके ,
और देखा उनको दर्पण में
ठिठुर गया हृदय मेरा ,
मैं कांप उठी अंतर्मन से
उदासी लिपटी पाई मेने ,
श्रृंगार रूप उनके तन पे-
आंखें नम और हाथ बढ़ाकर,
मांग रहे वो मदद मुझसे |

ग्लानि में आकर फिर मैं-
धीरे से उनकी ओर बढ़ी,
चौकाने वाला दृश्य हुआ ,
सामने थी मैं स्वयं खड़ी|
दर्पण मे घायल थी मैं
और दिल पे जख्म लगे थे
खुद ही था खुदको मारा मैने ,
खुदसे ही मैं स्वयं लड़ी|

अब हाथ बढ़ा कर भी-
न मै अतीत को खीच पाऊंगी,
पर अब जाकर जाना मैंने,
मैं ही स्वयं खुद को बचाऊंगी
प्रेम स्वयं से,ध्यान स्वयं का
रखकर अब दिखलाऊंगी
घायल था कहीं पड़ा हुआ,
वह फिर से स्वाभिमान उठा
फिर खुद से मिलने का अरमान उठा…
फिर खुद से मिलने का अरमान उठा…

~कोमल उपाध्याय~

विज्ञान की किताबो से शुरू होकर कागज़ पे भावनाओं को सजाने तक का सफर । मैं ,कोमल उपाध्याय, एक विद्यार्थी और कला की मुरीद , जो केवल कविताएं नहीं , लोगों के जीवन में शब्दों से बदलाव की आशा और लक्ष्य रखती हूं। मेरी भावनाओं से आपके हृदय तक।

अगर आपको उचित लगे तो इस लेख को लाइक और इसपर कमेन्ट करें | अपने मित्रों और परिवार के सदस्यों से साझा करें | The GoodWill Blog को follow करें ! मुस्कुराते रहें |

अगर आप भी लिखना चाहते हैं The GoodWill Blog पर तो हमें ईमेल करें : blogthegoodwill@gmail.com

हमसे फेसबुक इन्स्टाग्राम और ट्विटर पर जुडें :

https://www.facebook.com/thegoodwillblog : Facebook
https://www.instagram.com/blogthegoodwill/ : Instagram
https://twitter.com/GoodWillBlog : Twitter

Leave a comment