मेरे अकेलेपन में साथी,
मेरा दोस्त है तू;
मेरी परछाई,
मेरा भाई है तू|
हरदम तुझसे लड़ती आई,
हर वक़्त तेरी शिक़ायत लगवाई;
तूने मेरी हर ग़लती को सुधारा,
राखी के पवित्र बंधन को संवारा|
छोटा भाई बन,
मेरा सारा काम किया;
बड़ा भाई बन,
मेरा कितना साथ दिया|
मेरा हौसला,
मेरी ताक़त है तू;
हाँ मेरी परछाई,
मेरा भाई है तू….
~आयुषी सिंह ~
आयुषी 27 साल की हैं। वह छत्तीसगढ़ के एक छोटे से शहर मनेंद्रगढ़ की रहने वाली हैं। आप पेशे से अध्यापक हैं। आयुषी को पहले से ही स्केचिंग और कहानियां-कविता लिखने का शौक था, लेकिन अब लेखन की दुनिया में यह उनका पहला कदम है। आयुषी का मानना है कि अपने विचारों, अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए एक माध्यम की जरूरत होती है और इसके लिए यह माध्यम बना लेखन|
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