कृष्ण की परिभाषा

तन राधा, मन राधा,
कैसे कह दें केशव आधा ?
मुरली की धुन राधा,
केशव जो गीत कहे वह राधा,
जिसका वो जप करे वो राधा,
मिले न साथ तो खुद बने केशव राधा,
मैं कैसे कह दूँ मेरे कृष्णा का प्रेम आधा ?

जब एक ऊँगली पर गोवर्धन उठाये , बचाये जीवन को,
धर्म पर जो बात आये, ऊँगली पर रखे सुदर्शन चक्र को!

मैं कैसे कह दूँ कृष्ण सिर्फ़ इतने हैं या उतने हैं ?
कृष्ण शून्य भी हैं, कृष्ण ही अनंत हैं,
कृष्ण तुम में हैं, कृष्ण मुझ में हैं
कृष्ण जाप में हैं , हर सांस में हैं
गोपियों की आस में हैं,
कृष्ण मथुरा है, कृष्ण ही वृन्दावन,
कृष्ण घर में हैं, कृष्ण ही हैं गगन,
कृष्ण दिन में हैं, कृष्ण रात में हैं,
मेरी तेरी हर बात में हैं…

~यतिन “शेफ़्ता”~

ज़हीन भी, और नटखट भी , यतिन “शेफ़्ता” ने अपने बारे में हमें कुछ यूँ बताया-

“मैं नए ज़माने में कुछ पुराना सा हूँ ,
कुछ बेढंगा कुछ आवारा सा हूँ ,
कि महफिलों में शराब की-
चाय की प्याली सा हूँ.
पुराने गानें आज भी ज्यादा भाते हैं ,
पॉप के ज़माने में नुसरत साब की क़व्वाली सा हूँ
इस दौड़ती हुई दुनिया में,
धीमा चलने वाला राही सा हूँ…”

अगर आपको उचित लगे तो इस लेख को लाइक और इसपर कमेन्ट करें | अपने मित्रों और परिवार के सदस्यों से साझा करें | The GoodWill Blog को follow करें ! मुस्कुराते रहें |

अगर आप भी लिखना चाहते हैं The GoodWill Blog पर तो हमें ईमेल करें : blogthegoodwill@gmail.com/ publish@thegoodwillblog.in

Leave a comment