बहुत दिक्कतें हैं…

“बहुत दिक्कतें हैं!”
“हमेशा रहेंगी।”
“क्यों?”
“यही संघर्ष है।”
“किस से ?”
“ख़ुद से |”
“किसका?”
“ख़ुद का |
“फर्क क्या है?”
“हिम्मत का |”
“क्यों जिए?”
“सपनों के लिए।”
“सपने टूटे तो?”
“नये देखो।”
“फिर टूटे तो ?”
“फिर देखो |”
“बहुत दिक्कतें हैं!”
“हमेशा रहेंगी…”

~समर~

समर भीड़ में उलझा हुआ एक चेहरा है |

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